ईकना की राय अल-यौम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, मुफ्ती उस्मानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा कि ईरान ने इस्राइल के हमलों का सामना करते हुए दुश्मन को मजबूत जवाब दिया है।
उन्होंने आगे कहा, "इस्राइलियों को पहली बार समझ आया है कि बमबारी का वास्तविक मतलब क्या होता है। सियोनिस्ट शासन की इस्लामी दुनिया के खिलाफ साजिशें किसी से छिपी नहीं हैं।"
मुफ्ती-ए आज़म ने इस्लामी दुनिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह सभी मुस्लिम देशों के लिए एक और अवसर है कि वे इस्राइल के खिलाफ एकजुट होकर उसकी धमकियों पर पूरी तरह से काबू पाएं।
ईरानी सशस्त्र बलों द्वारा सियोनिस्ट शासन के आपराधिक आक्रमणों के जवाब में "ऑपरेशन वादा-ए-सादिक 3" के तहत की गई जबरदस्त कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान में कई राजनीतिक दलों और धार्मिक समूहों ने इस्राइल और उसके प्रमुख समर्थक अमेरिका की निंदा करते हुए ईरान के साथ एकजुटता में रैलियां निकाली हैं।
पाकिस्तान की सीनेट और नेशनल असेंबली के प्रतिनिधियों ने भी ईरान के समर्थन में और सियोनिस्ट शासन के आतंकवादी हमलों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं।
पाकिस्तान सरकार ने भी इस्राइल के क्षेत्र में बर्बर व्यवहार और ईरान के खिलाफ आक्रमण की निंदा करते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत ईरान को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
बताया जाता है कि ईरानी ड्रोन ने पिछली रात (26 खोर्दाद) इराक के आसमान से गुजरते हुए जोलन (गोलन हाइट्स) के कब्जे वाले क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसके बाद कब्जे वाले फिलिस्तीन के बड़े हिस्सों में अलार्म बजने लगे।
ईरानी ड्रोन के जोलन में प्रवेश करने के बाद अल-मयादीन नेटवर्क ने बताया कि ईरान द्वारा दागे गए कुछ मिसाइल हाइफा बंदरगाह शहर में जा लगे, जबकि संयुक्त अरब अमीरात के फुजैराह तट पर खोर फक्कान बंदरगाह में तीन तेल टैंकर भी आग की चपेट में आ गए।
हिब्रू मीडिया के अनुसार, ईरान के मिसाइल हमलों के बाद तेल अवीव और हाइफा में हजारों की संख्या में सियोनिस्ट लोग शेल्टर में भाग गए। इन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के नए हमले एक जटिल तरीके से शुरू हुए हैं।
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